स्नान का महत्व

महाकुंभ मेला 'सामान्य स्नान'
महाकुंभ मेला के दौरान हर दिन किए जाने वाले स्नान को "कल्याणकारी स्नान" माना जाता है। इसे ही सामान्य स्नान या "समाण्य स्नान" कहा जाता है। महाकुंभ मेला में यह स्नान बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह पवित्रता, आत्म-शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने का एक साधन है। हर दिन स्नान करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शुद्धता प्राप्त होती है, और यह उसे अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में सुधारने के लिए प्रेरित करता है। यह स्नान आमतौर पर संगम (गंगा, यमुन और सरस्वती) के पवित्र जल में किया जाता है, और इसे कुम्भ मेला के दौरान श्रद्धालु हर दिन करते हैं
इस महान आयोजन की तीर्थयात्रा की योजना बनाते समय कुछ निर्देशों का पालन करना आवश्यक है ताकि आपका अनुभव सुरक्षित, सहज और आनंदमय हो। इस आयोजन के महत्व को समझने से लेकर विशाल भीड़ के लिए तैयारी करने तक, आपको सूचित और संगठित रहना आवश्यक है।
महाकुंभ मेला 'शाही स्नान'
महाकुंभ मेले के दौरान कुछ खास दिन शाही स्नान के लिए बेहद पवित्र माने जाते हैं। इन दिनों सभी प्रमुख अखाड़ों के साधु-संत भव्य जुलूस के साथ संगम पहुंचते हैं और पहले स्नान करते हैं। इनके स्नान के बाद ही आम श्रद्धालुओं को डुबकी लगाने का अवसर मिलता है।
शाही स्नान का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों संगम में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी जैसे दिन शाही स्नान के प्रमुख अवसर होते हैं, जो भक्ति, आस्था और दिव्यता का प्रतीक हैं।